✍ संकलन, लिप्यंतरण एवं अनुवाद: डॉ. रीतामणि वैश्य
मूल असमीया
बिहुटि आदरर बिहुटि सादरर
बिहुटि आमारे प्राण।
एनुवा बिहुटि एरिब लागिले
नाथाके असमर मान॥
भावार्थ
बिहु प्यारा है बिहु मनोरम है
बिहु है हमारे प्राण।
ऐसे बिहु को छोड़ना पड़े तो
न रहेगा असम का मान॥
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