कार्बि रामायाण छाबिन आलुन का अनुवाद (भाग-1)
1 min readअसम की कार्बि जनजाति का रामायण : छाबिन आलुन
असम विविध जाति-जनजातियों की मिलनभूमि है। यहाँ की जनजातियों में बहुरंगी सांस्कृतिक विविधता पायी जाती है। संस्कृति के विविध पहलुओं के साथ-साथ इन जनजातियों में मौखिक साहित्य की समृद्धि पायी जाती है। कार्बि असम की प्रमुख जनजातियों में एक है। इस जनजाति में रामकथा से संबन्धित मौखिक परंपरा में चले आ रहे कुछ गीत पाये जाते हैं,जिन्हें ‘छाबिन आलुन’ कहा गया है। ‘छाबिन’ का अर्थ है सीता और ‘आलुन’ का अर्थ गीत होता है। अर्थात कार्बि रामायण ‘छाबिन आलुन’ सीता के गीतों का समाहार है। प्रसिद्ध साहित्यकार सामसिङ हांसे ने सन् 1986 में ‘छाबिन आलुन’ का संकलन एवं सम्पादन किया था,जिसके प्रकाशन का काम असम साहित्य सभा ने सम्पन्न किया था। ‘छाबिन आलुन’ के सर्वप्रथम हिन्दी में अनुवाद करने का श्रेय डॉ॰ देवेन चंद्र दास ‘सुदामा’ को जाता है।