असमीया सप्तकांड रामायण का हिंदी पद्यानुवाद(पद संख्या 11 से 20 तक)
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मूल :
एकदिना बाल्मीकि उठिया प्रभातत ।
स्नान करिबाक प्रति गंगार जलत ॥
शिष्य भरद्बाजक बुलिला ऋषिराज ।
सत्बरे लैयोक स्नान करिबाक साज ॥ 11
अनुवाद :
एकदिवस वाल्मीकि प्रातःकाल उठे।
गंगाजल में स्नान करने हेतु चले ॥
शिष्य भरद्वाज से कहते ऋषिराज।
स्नान करने के लिए शीघ्र ले लो साज॥11