असमीया सप्तकांड रामायण का हिंदी पद्यानुवाद (पद संख्या 21 से 30 तक)
1 min readमूल असमीया पाठ
नारदे सहिते ब्रह्मा बसिल तथात ।
करिला बाल्मीकि दुइरो पावे प्रणिपात ॥
पाद्ये अर्घे गंधे धूपे पूजि महाऋषि ।
कृतांजलि हुया स्तुति बुलिला हरिषि ॥ 21
हिन्दी अनुवाद
नारद सहित ब्रह्मा ने आसन लिया।
वाल्मीकि ने चरणों में प्रणिपात किया॥
पाद्य, अर्घ्य,गंध,धूप से सेवा ऋषि की।
कृतांजलि होकर आनंद से स्तुति की॥21