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October 14, 2024

बेड टी

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✍ डॉ. रीतामणि वैश्य

सुबह हुई तो आँखें खुली थीं

देखा पत्नी अभी सोयी थी

बोले पतिदेव-‘सूरज उगा उठ जाओ

जल्दी बेड टी लाओ।’

पत्नी ने अंगड़ाई ली

एकाएक भौहें चढ़ीं।  

‘सुबह से लेकर शाम तक काम

न सुकून,न आराम ।

2 thoughts on “बेड टी

  1. यह कविता कथा-रस से पूर्ण है । पढ़ते हुए किस्सा पढ़ने का आनंद आता है । कवयित्री ने स्त्री की नियती का चित्रण किया है- जो घर-बाहर दोनों जगह परिश्रम करते हुए मशीन बन जाती है । पत्नी सबकुछ सहते हुए भी चुपचाप सारी जिम्मेदारियाँ निभाने वाली बिना पैसे की नौकरानी है । पैसे देकर भी पति देव समय पर बेड-टी पिलाने वाली का बंदोबस्त नहीं कर पाता है । प्रेम और आपसी तालमेल से, थोड़ा स्नेह देकर एक गृहस्थी कैसे सुखमय हो सकती है यह संदेश यह कविता देती है । इसमें स्त्री-पुरुष की समानता की वकालत भी की गई है ।

  2. “बेड टी” कविता महिलाओं के संघर्षमय जीवन की सच्ची तस्वीर है। किस प्रकार महिलाएं पूरे परिवार के हर एक की जरुरतों का ख्याल रखते हुए पूरा दिन काम करती हैं, किन्तु इसके बावजूद वह पुरूषों से केवल प्यार और अपनापन चाहती हैं। इससे महिलाओं की अदम्य साहस और आत्मशक्ति का परिचय मिलता है। अतः यहां पुरूषों की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वह महिलाओं के काम में हाथ बटाये और उनका सहयोग करें।

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