कोरोनावतार नहीं, करुणावतार लीजिए ✍ डॉ॰ रीतामणि वैश्य
1 min readचारों तरफ मृत्यु का तांडव है
हरेक के हृदय में विष घुला है
मनुष्य को मनुष्य से मिलने में
शंका है
भय है
और अंत में जीवन का क्षय है।
सृष्टि में मृत्यु का महाप्रलय है
महाप्लावन की गति दुर्जेय है।