त्रिपुरा विश्वविद्यालय में राम विषयक संगोष्ठी
1 min read‘ग्लोबल इन्साइक्लोपीडिया ऑफ द रामायण’ के अंतर्गत
त्रिपुरा विश्वविद्यालय में राम विषयक संगोष्ठी
गत 24-26 मार्च, 2022 को त्रिपुरा विश्वविद्यालय में ‘ग्लोबल इन्साइक्लोपीडिया ऑफ द रामायण’ के अंतर्गत ‘दक्षिण पूर्व एशिया में राम का सांस्कृतिक पथ: पूर्वोत्तर भारत संदर्भ’ विषय पर एक त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। ‘अयोध्या शोध संस्थान’ एवं ‘वाणी फाऊंडेशन’ की आर्थिक सहयोग से आयोजित इस संगोष्ठी की संयोजक थीं त्रिपुरा विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की सह प्राध्यापक डॉ. मिलन रानी जमातीया। 24 मार्च को त्रिपुरा विश्वविद्यालय के महाराजा बीर बिक्रम शतवार्षिकी भवन में आयोजित उद्घाटन समारोह में त्रिपुरा विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति गंगा प्रसाद परसाई,‘अयोध्या शोध संस्थान’ के निदेशक लवकुश द्विवेदी, ‘वाणी फाउंडेशन’ के अध्यक्ष अरुण माहेश्वरी, विशिष्ट साहित्यकार एवं वरिष्ठ संपादक डॉ॰ आशीष कंधवे ने विविध संदर्भों में राम की उपस्थिति विषयक विचार रखे। संगोष्ठी में अन्य तकनीकी सत्रों में पूर्वोत्तर भारत के साहित्य, समाज, लोकमानस, गीत,कथा आदि में राम के संदर्भ पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई। मिजोराम विश्वविद्यालय के हिन्दी के प्राध्यापक संजय कुमार ने ‘मिज़ोरम में रामायण संस्कृति के साक्ष्य’ विषय पर मिज़ो समाज में प्रचलित रामकथा पर महत्वपूर्ण जानकारियाँ दीं। गौहाटी विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की सह प्राध्यापक डॉ॰ रीतामणि वैश्य ने ‘असमीया साहित्य के विविध पक्षों में अभिव्यंजित रामकथा’ पर पत्र का वाचन करते हुए राम कथा के आधार पर लिखे गये असमीया के मौखिक साहित्य एवं लिखित साहित्य का विस्तृत लेखाजोखा प्रस्तुत किया। असम विश्वविद्यालय के दिफू परिसर के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्राध्यापक जय कौशल ने कार्बि रामकथा ‘साबिन आलुन’ पर अपना पत्र प्रस्तुत किया।मणिपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ॰ ई विजयलक्ष्मी ने ‘मणिपुरी साहित्य में रामकथा’ विषय पर संगोष्ठी पत्र प्रस्तुत किया। सिक्किम विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ प्रदीप कुमार त्रिपाठी ने ‘सिक्किम में राम: लोक मान्यताएँ एवं अनुसंधान के प्रश्न’ शीर्षक पत्र में सिक्किम के समुदायों में राम से संबन्धित प्रसंगों का उल्लेख करते हुए उनके अनुसंधान की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। अरुणाचल के डॉ॰ सोनम वाङमू ने ‘अरुणाचल प्रदेश की जनजातीय संस्कृति में वैष्णवी सांस्कृतिक उपस्थिति’ विषय पर अपनी प्रस्तुति दी। इनके अलावा भी पूर्वोत्तर के कई विश्वविद्यालयों के प्राध्यापकों एवं शोधार्थियों ने पूर्वोत्तर में राम की सांस्कृतिक उपस्थिति पर नये तथ्यों की स्थापना की। नेहू के हिन्दी विभाग के प्राध्यापक दिनेश कुमार चौबे की अध्यक्षता में 24 मार्च को इस त्रिदिवसीय संगोष्ठी का समापन समारोह सम्पन्न हुआ।
संगोष्ठी के कुछ छायाचित्र