असमीया सप्तकांड रामायण (पद संख्या 76 से 100 तक)
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सीताक दिबाक बुलिलंत विभीषणे ।
मारिवंत लाथि ताक दुर्ज्जन रावणे ॥
रामत शरण आसि लैबा बिभीषणे ॥
तांक अभिषेक रामे करिबा तेखने ॥ 76
अनुवाद
सीता को लौटाने हेतु बोला विभीषण।
उसे लात मार देगा दुर्जन रावण॥
राम के शरण में आयेगा विभीषण।
श्रीराम अभिषेक करेंगे उसी क्षण ॥ 76