असमीया सप्तकांड रामायण(पद संख्या 101 से 125 तक)
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राघवर शिरे बरषिब पारिजात।
पाचे राम देव कार्य्य सांफलि साक्षात॥
बिभीषण मित्रक आश्वासि रघुबर ।
पातिबंत तांक अभिनव लंकेश्वर ॥ 101
अनुवाद
राघव के शिर बरसेगा पारिजात।
राम देव कार्य सफल करेंगे साक्षात॥
विभीषण को आश्वास देंगे रघुवर।
बनायेंगे उसे अभिनव लंकेश्वर॥ 101