असमीया सप्तकांड रामायण (पद संख्या 126 से 150 तक)
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मूल
आरो एक श्रेष्ठ भाइ हैब बैमातर।
इरार तनय कुबेर धनेश्वर॥
बिष्णु भक्त हैबंत कुबेर बिभीषण।
हैब दुष्ट दुर्ज्जन रावण कुंभकर्ण॥126
अनुवाद
विमाता से और एक श्रेष्ठ भाई होगा।
धनेश्वर कुबेर इरा का पुत्र होगा॥
विष्णु भक्त कुबेर और है विभीषण।
दुष्ट दुर्जन रावण और कुंभकर्ण॥126